अब
दीवाली आ रही है तो भक्तों का
चीनी सामान के बहिष्कार का
भोपू शुरू हो जाएगा। इस बात
को जाने समझे बिना चीन सिर्फ
छोटे-मोटे
पटाखे ही नहीं भेजता,
झालर
ही नहीं भेजता बल्कि भारत मे
एक
बड़ा निवेश चीन ने किया है।
जिओ का सिम चीन में बनता है,
पेटीएम
में चीनी कंपनी अली बाबा की
बड़ी साझेदारी है,
अधिकांश
आई फोन,
कंप्यूटर
हार्ड डिस्क,
आदि
चीन जैसे देशों में ही बनते
हैं। खुद हमारे प्रधानमंत्री
चीन के राष्ट्रपति के साथ
गलबैंया करते रहते हैं। चार
पांच साल पहले गुजरात में झूला
झूल रहे थे कि चीन ने अरुणाचल
प्रदेश को अपना क्षेत्र घोषित
कर दिया और अब महाबलीपुरम में
अनौपचारिक रूप से भेंट कर रहे
हैं। भारत में लगातार चीन के
साथ व्यापार बढ़ाया है,
और
इसका अर्थ मुख्य चीनी निवेश
भारत में है
न कि भारत
का निवेश चीन में। चीन के पूँजी
के स्वामित्व वाली चीनी
बहु-राष्ट्रीय
कंपनियों की एक छोटी सूची नीचे
हैः
यह
सूची मुख्यतः मैन्युफैक्चरिंग
से संबंधित कंपनियों की है
सेवा क्षेत्र की कंपनियां
जैसे अलिबाबा,
यूसी
ब्राउजर,
टिक
टोक
आदि
आदि की सूची इसमें नहीं है।
दरअसल यह लोग देश भक्ति के नाम
पर बिना कुछ करें अपना गुबार
या तो व्हाट्सएप या फेसबुक
पर पोस्ट फारवर्ड कर के (
खुद
से लिख कर भी नहीं)
निकालते
हैं और अपनी देश भक्ति दिखाने
के लिए छोटे मोटे दुकानदार
जो शायद आपके मोहल्ले में हाथ
लगाकर 24
झालर
और पटाखे बेच रहा है उस पर
प्रहार करते हैं,
बड़ी-बड़ी
कंपनियों की चाकरी
करते
रहते हैं और मौका मिलने पर खूब
तलवे चाटते हैं। बड़ी चीन की
बहु-राष्ट्रीय
कंपनी में इन्हें नौकरी मिल
जाए,
जीने
का मौका मिल जाए बड़े गर्व से
सबको बताएँगे और पूरे सोशल
मीडिया पर उसका प्रचार करेंगे।
वह लोग हैं जिनके लिए लिखा गया
है कि
गुड़ खाये और गुलगुलों से
परहेज करें। पाखंड की कोई सीमा
नहीं है और यह उसमें ही अपने
आप को गर्वित महसूस करते हैं।
अपने पाखंड पर गर्व करने में
ये
भक्तगण
बेमिसाल है।
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